दोस्तों आज हम आपके साथ Imaandar lakadhara ki kahani शेयर करने वाले है, जो आपको बोहोत मोटीवेट करेगी | तो बिना समय बर्बाद किये आर्टिकल को सुरु करते है |
Imaandar lakadhara ki kahani
एक बोहोत ही मेहनती लकड़हारा गाँव में Rehta था | जो लकड़ियों को तोड़कर और उन लकड़ियों को बेचकर अपने परिवार का गुज|रा करता था | और बोहोत ाचा कमाता था | उसकी सोच ये थी जितने मिल जाये उतने में ही खुश रहे |
एक दिन उसकी जिंदगी में कुछ ऐसा हुआ जिसने उसको बोहोत दुखी कर दिया था | वो नदी के पास लकड़िया काट रहा था | तभी उसके हाथ से कुल्हाड़ी गिरकर नदी में गिर गयी | वो बिचारा टेंशन में आ गया की अपने परिवार को कैसे चलाएगा क्युकी लकड़िया काटकर ही तो अपने परिवार की जरुरत को पूरा करता था
वो भगवान से प्राथना करने लगा सच मन से और हुआ कुछ ऐसा भगवान ने उसके पास आकर उसकी परेशानी पूछा तभी लकड़हारे ने भगवान को बताया उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गयी और उसे वापस लाने को कहा
तभी bhagwan ने नदी में हाथ डाला और चाँदी की कुल्हाड़ी निकाली phir पूछा लकड़हारे से क्या ये तुम्हारी कुल्हाड़ी है ?
लकड़हारे ने कहा नहीं भगवान ये कुल्हाड़ी मेरी नहीं है
तभी भगवान ने दुबारा नदी में हाथ डाला और अबकी बार भगवान ने सोने की कुल्हाड़ी निकाली
फिर पूछा बता क्या ये कुल्हाड़ी तुम्हारी है ?
लकड़हारे ने धयान से देखा और कहा नहीं है
तभी भगवान को समज आ गया था ये इंसान बोहोत ईमानदार है | तभी उन्होंने दुबारा हाथ नदी में डालकर कुल्हाड़ी निकाली और पूछा बता बेटा क्या ये कुल्हाड़ी
तुम्हारी है | ये देखकर लकड़हारा खुश होगया उसने कहा है ये कुल्हाड़ी मेरी ही है |
भगवान उसकी ईमानदारी देखकर खुश होगये और वो जो 3 दिन कुल्हाड़ी निकाली सब उसको देदी
मोरल : इस कहानी से बोहोत कुछ सीखने की जरुरत है | आज के टाइम में ईमानदार होना कितना जरुरी है बाकि हमेशा मेहनत करते रहो और imandar रहो और दुसरो को भी अपने जैसा बनाओ
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