दोस्तों आज हम आपको Bhakt Prahlad Aur Hiranyakashyap ki kahani बताएँगे | पुराने समय की बात है एक हिरण्यकश्यप नाम का राक्षस था | जिसने अपनी तपस्या से ब्रह्मा भगवान को खुश किआ था | हिरण्यकश्यप की मर्जी के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने हिरण्यकश्यप को वरदान दिया |
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Hiranyakashyap ko kya vardan mila tha
न पशु द्वारा मारा जा सके , न दिन में मारा जा सके न रात में, न घर के अंदर न बाहर, न किसी अस्त्र के प्रहार से और न किसी शस्त्र के प्रहार से । बस फिर क्या था वो बोहोत घमंडी बन गया और खुद को भगवान समझने लग गया और अत्याचारी हो गया |
Bhakt Prahlad Aur Hiranyakashyap
उसका लड़का जिसका नाम प्रहलाद था | वो भगवन विष्णु का बोहोत बड़ा भकत था | बस यही सब हिरण्यकश्यप को पसंद नहीं था | उन्होंने प्रहलाद को समझाया बोहोत की तू विष्णु की पूजा करना बंद कर दे | पर प्रहलाद ने उनकी नहीं माननी |
फिर हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को जान से मारने के लिए बोहोत कुछ किआ पर भगवान विष्णु की किरपा अपने भक्त प्रहलाद पर बोहोत थी | जिसके कारण वो सफल नहीं हुआ | उसने अपनी बहन होलिका से मदद लेनी थी | उसने अपनी बहन होलिका को कहा की वो प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाये क्युकी होलिका को वरदान था की वो अग्नि में नहीं जल सकती | फिर हुआ कुछ ऐसा की प्रहलाद की जगह होलिका जल गयी |
Hiranyakashyap ka vadh
भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार ने अपने नाखूनों की सहायता से हिरण्यकश्यप का vadh कर दिया था | दोस्तों ये थी Prahlad aur hiranyakashyap ki kahani
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